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किसी भी देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रामाणिक स्तंभ है भाषा: धनखड़

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भाषा साहित्य से परे है क्योंकि यह समसामयिक परिदृश्य को परिभाषित करती है और यदि भाषा नहीं पनपेग...


नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भाषा साहित्य से परे है क्योंकि यह समसामयिक परिदृश्य को परिभाषित करती है और यदि भाषा नहीं पनपेगी तो इतिहास भी नहीं पनपेगा।

धनखड़ ने 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की पूर्व संध्या पर यहां उप राष्ट्रपति निवास में एक प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि किसी क्षेत्र को जीतने का सबसे अच्छा तरीका यह नहीं है कि उस पर भौगोलिक रूप से कब्ज़ा करके उसकी संस्कृति पर कब्ज़ा कर लिया जाए और उसकी भाषा को नष्ट कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि करीब 1200-1300 साल पहले, जब सब कुछ उत्थान पर था और सब ठीक चल रहा था।


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