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खिलाड़ी को खुलकर खेलने की आजादी.. न्यूजीलैंड में रोहित शर्मा पहली बार टी20 के फुल टाइम कप्तान बनकर उतरे।

नई दिल्ली भारतीय क्रिकेट के नए युग की शुरुआत भारत बनाम न्यूजीलैंड के बीच जयपुर में खेले गए पहले टी-20 मैच से हुई। इस मैच में नया कप्तान था औ...


नई दिल्ली

भारतीय क्रिकेट के नए युग की शुरुआत भारत बनाम न्यूजीलैंड के बीच जयपुर में खेले गए पहले टी-20 मैच से हुई। इस मैच में नया कप्तान था और नया कोच भी। भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार कहलाने वाले राहुल द्रविड़ को जब मैदान पर देखा गया तो एकदम वही अंदाज जो बतौर खिलाड़ी देखा गया था। कप्तान रोहित शर्मा भी पूरे जोश के साथ मैदान में कदमताल करते नजर आए। दोनों ही मैचों में रोहित शर्मा ने बेहतरीन कप्तानी का परिचय दिया। मैदान में वो शांत दिखे और बल्लेबाजी में कमाल किया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक लाइन में जो कहा वो काफी महत्वपूर्ण और जानकार इसको कह रहे हैं कि रोहित शर्मा का यही अंदाज है।

रोहित शर्मा मैच के बाद बयान

मैच के बाद हर कप्तान अपनी टीम की हार जीत के बारे में बयान देता है। उसी कड़ी में रोहित शर्मा भी अपनी बात रखने के लिए गए। रोहित ने कहा, ‘मैच के दौरान (ओस के कारण) परिस्थितयां आसान नहीं थीं। पूरी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। बल्लेबाजी इकाई के रूप में हम न्यूजीलैंड की काबिलियत जानते हैं। पर हमें अपने स्पिनरों की क्षमता का भी पता है, मैं उनसे कहता रहा कि बस एक विकेट निकालकर हम उन पर लगाम कस सकते हैं।’ यहां तक तो सब ठीक था। जैसे हर कप्तान अपनी बात कहता है उसी तर्ज में रोहित ने भी अपनी बात रखी।

खिलाड़ियों को खुलकर, इसका मतलब क्या

रोहित ने आगे बेंच स्ट्रेंथ की तारीफ करते हुए कहा, ‘बेंच स्ट्रेंथ के खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं इसलिए मैदान पर खिलाड़ियों पर दबाव बना रहता है। मेरे लिए उन्हें खुलकर खेलने की आजादी देना अहम था। यह युवा टीम है जिसमें से काफी ने ज्यादा मैच नहीं खेले हैं।’राहुल द्रविड़ जोकि टीम इंडिया के नए कोच हैं कुछ-कुछ उनका भी कहना ऐसा ही था। द्रविड़ ने पद संभालते ही बयान दिया था कि खिलाड़ी इंसान हैं मशीन नहीं। मतलब कि इतने ज्यादा मैचेज अगर वो खेलेंगे तो निश्चित तौर पर वो थकेंगे। टी20 वर्ल्ड कप ही हार के बाद टीम इंडिया के बिजी शेड्यूल का मुद्दा जोर से उठा था।




पहली बार फुल टाइम कैप्टन

आखिरी की एक लाइन में रोहित शर्मा ने ये साफ कर दिया कि उनके इरादे क्या हैं। टी-20 वर्ल्डकप में भारतीय टीम सेमीफाइनल तक में नहीं पहुंच पाई। कप्तान विराट कोहली आज तक कभी अपनी कप्तानी में आईसीसी की कोई ट्रॉफी जीत नहीं पाए इसका मलाल उनको जरुर होगा। इसमें कोई शक नहीं कि बल्लेबाज के रुप में आज भी कोहली का कोई सानी नहीं है। कप्तान कोहली को यूं ही रन मशीन नहीं कहा जाता। कप्तानी और बल्लेबाजी में फर्क होता है। कोहली ने टी20 कप्तानी छोड़ने का फैसला किया। भारत बनाम न्यूजीलैंड में रोहित शर्मा पहली बार टी20 के फुल टाइम कप्तान बनकर उतरे। आईपीएल में मुंबई इंडियंस को पांच बार ट्रॉफी जितवाने वाले रोहित शर्मा मैदान पर हर वक्त एक्टिव नजर आए। हालांकि ड्रेसिंग रूम हो या प्लेन ये खिलाड़ी सोता हुआ नजर आता है।

भारतीय टीम में जीत की भूख जगाने वाले कप्तान

सब जानते हैं कि भारतीय टीम को जीत की भूख जगाने वाला कप्तान सौरव गांगुली हैं। जीत का जोश और अग्रेसिव लीडर क्या होता है ये सौरव गांगुली की कप्तानी में ही टीम इंडिया ने सीखी। सौरव गांगुली आज बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं। गांगुली और ग्रेग चैपल के विवाद के बाद एक बारगी तो लगा की टीम इंडिया का भविष्य अधर में चला गया। मगर उस वक्त उगले सूरज की तरह धोनी का उदय हुआ। उसके साथ ही एक और भारतीय टीम को कप्तान हर वक्त, हर परिस्थिति में शांत दिमाग से सोचकर शतरंजी शह मात देने वाला कप्तान महेंद्र सिंह धोनी। महेंद्र सिंह धोनी सबसे सफर कप्तान माने जाते हैं। इसके साथ ही उनको कैप्टन कूल के नाम से जाना जाता है। मतलब परिस्थिति चाहे जैसी हो, मैदान के बाहर कुछ भी हो रहा हो, सोशल मीडिया में कुछ भी चल रहा हो, सड़कों पर चाहे जिसके पोस्टर और पुतले फूंके जा रहे हों मगर ये खिलाड़ी सिर्फ और सिर्फ चिड़िया की आंख की तरफ रणनीति में फोकस रखता था।

कुछ-कुछ धोनी की तरह अंदाज रोहित का

धोनी के बाद कप्तानी मिली युवा हुनरमंद बल्लेबाज विराट कोहली को। कोहली ने अपने बैट से सबको चौंका दिया था। एक बार तो लगा कि अगर कोई तेंडुलकर के रेकॉर्ड तोड़ पाएगा तो वो विराट कोहली है। विराट कोहली के बैट से शतक तो ऐसे हो गए थे जैसे मलिंगा की यॉर्कर। मतलब शतक पर शतक। कप्तानी में कोहली बेहद अग्रेसिव थे। वो मैदान पर जश्न उनका देखने वाला होता है। खिलाड़ियों को समझाना हो या फिर उनको कोई राय देखना कोहली का चेहरा हमेसा अग्रेसिव रहता था। ये गलत भी नहीं है। ये भी एक तरीका है अपनी टीम में जोश फूंकने का। ऐसा कप्तान अपनी टीम का मनोबल बढ़ाता है। विराट कोहली के साथ ये भी आरोप लगते थे कि वो टीम में बदलाव जल्दी करते हैं। मतलब इससे खिलाडियों पर प्रेशर बनता है अच्छा खेलने का नहीं तो डर सताता है ड्रॉप होने का। रोहित शर्मा भी मैदान पर काफी कूल अंदाज से कप्तानी करते हुए नजर आते हैं। वो बहुत ज्यादा एग्रेसिव नहीं हैं। अक्सर फील्ड में मिश्रण करते हुए नजर आते हैं।

रविवार को आखिरी मुकाबला

टी-20 श्रृंखला का अंतिम मैच रविवार को कोलकाता में खेला जाएगा तो टीम में बदलाव के बारे में रोहित ने कहा, ‘अभी कुछ नहीं सोचा है, टीम के लिए जो सही होगा, हम करने की कोशिश करेंगे।’ हर्षल पटेल ने पदार्पण के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया और 25 रन देकर दो विकेट चटकाए। इस पर रोहित ने कहा, ‘हर्षल पटेल कई बार ऐसा कर चुका है, वह कई वर्षों से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल रहा है। वह जानता कि वह क्या करना चाहता है।’ प्लेयर ऑफ द मैच रहे हर्षल पटेल ने कहा, ‘इससे बेहतर पदार्पण की उम्मीद नहीं कर सकता था। प्रगति धीरे धीरे होती है और उस खिलाड़ी के लिए जो मेरी तरह इतना प्रतिभाशाली नहीं हो।’

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