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हांदावाड़ा जल प्रपात की खूबसूरती को पहली बार ड्रोन कैमरे में कैद किया गया, नक्सलियों की इजाजत के बिना कैमरा चलाने की अनुमति नहीं

जगदलपुर- बस्तर के हांदावाड़ा में नक्सलियों की इजाजत के बिना कैमरा चलाने की अनुमति नहीं है। छत्तीसगढ़ में बस्तर के बीहड़ों में कई खूबसूरत जल प्...



जगदलपुर- बस्तर के हांदावाड़ा में नक्सलियों की इजाजत के बिना कैमरा चलाने की अनुमति नहीं है। छत्तीसगढ़ में बस्तर के बीहड़ों में कई खूबसूरत जल प्रपात हैं। इनमें से एक हांदावाड़ा जल प्रपात है, जिसे बाहुबली वाटर फॉल के नाम से भी जाना जाता है। तीन जिलों की सरहद पर नक्सलगढ़ में स्थित इस हांदावाड़ा जल प्रपात की खूबसूरती को पहली बार ड्रोन कैमरे में कैद किया गया है।

बताया जाता है कि यहां नक्सलियों की इजाजत के बिना कैमरा चलाने की अनुमति नहीं है, लेकिन कुछ दिनों पहले इस जल प्रपात की सैर करने गए युवाओं ने अनजाने में ड्रोन कैमरा उड़ा कर इस बाहुबली जल प्रपात की खूबसूरती को कैद कर लिया।

दरअसल, दंतेवाड़ा जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने अब सोशल मीडिया का सहारा लिया है। यहां की खूबसूरती को देश-दुनिया को दिखाने के लिए छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों से कई फेमस यूट्यूबर्स को बुलाया गया था। इन यूट्यूबर्स को हांदावाड़ा जल प्रपात की भी सैर कराई गई थी।

ये सभी युवा इन इलाकों के हालात से पूरी तरह अनजान थे। इनमें से एक ने इलाके में ड्रोन कैमरा उड़ा कर चंद सेकेंड की तस्वीरों को कैद कर लिया था, लेकिन वहां मौजूद ग्रामीणों ने नाराजगी दिखाई और कैमरा उड़ाने के लिए सख्त मना कर दिया था। क्योंकि यह इलाका पूरी तहत से नक्सलियों का गढ़ है। उनकी इजाजत के बिना यहां ड्रोन कैमरा चलाने की मनाही है।हांदावाड़ा जल प्रपात इंद्रवाती नदी के पार दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर जिले सीमा पर अबूझमाड़ इलाके में स्थित है। इस खूबसूरत जल प्रपात तक पहुंचने का कोई सुगम रास्ता भी नहीं है। इसे छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा जल प्रपात भी कहा जाता है। हांदावाड़ा जल प्रपात तक पहुंचने के लिए पहले इंद्रवाती नदी को पार करना पड़ता है। फिर बाइक से कई किमी पतली पगडंडी वाले रास्ते को और लगभग 2 से 3 बरसाती नालों को पार करना होता है। फिर कुछ दूरी पर बाइक खड़ी कर पैदल जंगली सफर तय कर पहुंच सकते हैं।कुछ साल पहले हांदावाड़ा जल प्रपात में बाहुबली पार्ट-2 की शूटिंग की अफवाह उड़ी थी। इसी वजह से इसे बाहुबली वाटर फॉल भी कहा जाने लगा। शूटिंग की अफवाह के बाद ही पर्यटकों की इस जल प्रपात को देखने की दिलचस्पी ज्यादा बढ़ी। यही वजह है कि पिछले 2-3 सालों में पर्यटकों की भीड़ भी ज्यादा देखने को मिल रही है। ज्यादातर पर्यटक नवंबर से लेकर मई महीने तक ही जा पाते हैं। क्योंकि इस समय इंद्रावती नदी का जल स्तर थोड़ा कम होता है। हांलाकि पाहुरनार घाट में पुल बन जाने से थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन आगे बरसाती नालों को पार करना बड़ी चुनौती होती है। दंतेवाड़ा जिले में आने वाले पर्यटक ढोलकल में ट्रैकिंग के लिए अपनी जबरदस्त दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यहां घनघोर जंगल और खड़ी पहाड़ियों की ट्रैकिंग करना पर्यटकों को खूब पसंद आ रहा है। यहां की हसीन वादियां पर्यटकों का मन मोह रही है।पहले कई किमी की ट्रैकिंग, फिर ढोलकल शिखर पर स्थित गणपति बप्पा के दर्शन करना लोग खूब पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से ढोलकल की ट्रैकिंग के लिए पर्यटकों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।

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