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प्रदूषण का स्‍तर कम नहीं हो रहा, गाजियाबाद, बुलंदशहर और कैराना में स्‍थि‍त‍ि सबसे खराब

लखनऊ  तमाम कोशिशों और कवायदों के बाद भी शहरों में प्रदूषण का स्‍तर कम नहीं हो रहा। राजधानी नई दिल्‍ली के अलावा उत्‍तर प्रदेश के कई जिलों में...



लखनऊ 

तमाम कोशिशों और कवायदों के बाद भी शहरों में प्रदूषण का स्‍तर कम नहीं हो रहा। राजधानी नई दिल्‍ली के अलावा उत्‍तर प्रदेश के कई जिलों में प्रदूषण का स्‍तर अभी भी खतरनाक स्‍तर पर है। राजधान लखनऊ कई दिनों से धुंध की चपेट में है। कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्‍तर बेहद खतरनाक स्‍तर पर पहुंच चुका है। देश के सबसे प्रदूष‍ित शहरों की बात करें तो उत्‍तर प्रदेश के गाजियाबाद, हापुड़ और कैराना टॉप 10 में हैं।

गाजियाबाद की स्थिति सबसे खराब

इस समय जिला गाजियाबाद उत्‍तर प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। शनिवार 20 नवंबर को यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लेवल 300 पहुंच गया जो नई दिल्‍ली के बाद सबसे ज्‍यादा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले ही इसका अंदेशा जताया था। पिछले कई दिनों से जिला गैस चैंबर बना हुआ है। गुरुवार 18 नवंबर को तो यहां का एक्यूआई लेवल 360 तक पहुंच गया था। मौसम विभाग के अनुसार उत्‍तर प्रदेश के कुछ जिलों में शनिवार और रविवार को बारिश हो सकती है, उसके बाद ही प्रदूषण से राहत मिलने की उम्‍मीद है।

बुलंदशहर और कैराना में बिगड़े हालात

उत्‍तर प्रदेश के प्रदूषि‍त शहरों की बात करें तो गाजियाबाद के बाद बुलंदशहर और कैराना की स्थिति‍ सबसे ज्‍यादा खराब है। शनिवार 20 नवंबर को सुबह 11 बजे बुलंदशहर का एक्यूआई लेवल 267 तो वहीं कैराना का 267 था। जबकि पीएम-10 और पीएम-2.5 202, 378 और 151, 340 रहा। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इन जिलों में प्रदूषण का स्‍तर आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है।

नोएडा में सांस लेना अभी भी खतरनाक

दीपावली के बाद से दिल्‍ली और एनसीआर में प्रदूषण को जो स्‍तर बढ़ा था, वह अभी भी खतरनाक स्थिति‍ में है। नोएडा अभी सांस लेने के लिहाज से खतरनाक स्थिति‍ में बना हुआ है। शनिवार दोपहर तक यहां का एक्यूआई लेवल 236 रहा। दो दिन पहले यानी गुरुवार को तो यहां का एक्यूआई लेवल 336 और ग्रेटर नोएडा का 308 तक था। इस लिहाज से स्थिति‍ में सुधार तो हुआ है, लेकिन हवा अभी भी स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक स्थिति में है। जानकारों का कहना है क‍ि जब तक बारिश तेज हवा नहींं चलेगी, ये स्थिति बदलने वाली नहीं है।

अलीगढ़, बदायूं, संभल की हवा बिगड़ी

ऐसा नहीं है कि प्रदूषण का स्‍तर बस बड़े शहरों में ही बढ़ रहा है। छोटे शहर जैसे बदायूं, संभल और अलीगढ़ में भी प्रदूषण का स्‍तर लगातार बढ़ रहा। शनिवार को बदायूं का एक्यूआई लेवल 218 था जबक‍ि पीएम-10 और पीएम-2.5 स्‍तर 160, 259 पर था। वहीं सभल का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 225 पर था। अलीगढ़ की भी स्थिति‍ भी ठीक नहीं है। यहां शनिवार दोपहर तक एक्यूआई का स्‍तर 219 पर था।

बरेली, मेरठ और मुरादाबाद में भी सांस लेना खतरनाक

दिल्‍ली से सटे मेरठ, बरेली और मुरादाबाद में भी सांस लेना खतरनाक है। इन जिलों में भी प्रदूषण उस स्‍तर पर है जो आपको बीमार कर सकता है। शनिवार 20 नवंबर को बरेली का एक्यूआई लेवल 223 था, जबक‍ि मेरठ 209 और मुरादाबाद में 225 पर रहा जो खतरनाक स्‍थि‍त‍ि में दायरे में आता है।

राजधानी लखनऊ में सुधर रहे हालात

बात अगर राजधानी लखनऊ की करें तो पिछले कुछ दिनों में यहां प्रदूषण का स्‍तर थोड़ा कम तो जरूर हुआ है, लेकिन स्थिति अभी अच्‍छी नहीं कही जा सकती। शनिवार को दोपहर तक यहां का एक्यूआई लेवल 181 रहा जो गुरुवार को 269 था। यहां पिछले दो दिनों से धुंध छाया हुआ है। शुक्रवार और शनिवार की सुबह हल्‍की बुंदाबांदी भी हुई जिसकी वजह से लोगों को प्रदूषण से थोड़ी राहत जरूर मिली है। शनिवार को जिले का पीएम-10 और पीएम-2.5 113 और 2020 रहा।

वायु गुणवत्ता सूचकांक, यह दरअसल एक नंबर होता है जिसके जरिए हवा का गुणवत्ता पता लगाया जाता है. साथ इसके जरिए भविष्य में होने वाले प्रदूषण के स्तर का भी पता लगाया जाता है.

एक्यूआई यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक के जरिए ही हम हवा की गुणवत्‍ता का पता लगा सकते हैं। इसके जरिए हम यह भी पता लगा सकते हैं क‍ि भविष्‍य में हवा की गुणवत्‍ता कैसे रहेगी। एक्यूआई के नंबर को छह कैटेगरी में बांटा गया है। 0 और 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 और 100 के बीच को संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बेहद खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर श्रेणी में माना जाता है। अब आपको यह भी समझाते हैं क‍ि PM2.5 और PM10 क्या होता है । PM यानी पार्टिकुलेट मेटर जो कि वायु में मौजूद छोटे कण होते हैं। जैसे-जैसे इन कणों की संख्‍या वायु में बढ़ती है, सांस लेने उतना ही कठिन हो जाता है। PM को पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) या कण प्रदूषण (particle pollution) भी कहा जाता है। ये कण इतने छोटे होते हैं क‍ि आप इन्‍हें नग्‍न आंखों से नहीं देख सकते।

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