अंबिकापुर/रायपुर । अंबिकापुर के एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा आधी अधूरी जानकारी के आधार पर जनता को गुमराह किया जा रहा है। पूरे तथ्य प्रस्...
अंबिकापुर/रायपुर । अंबिकापुर के एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा आधी अधूरी जानकारी के आधार पर जनता को गुमराह किया जा रहा है। पूरे तथ्य प्रस्तुत ना कर आधी अधूरी जानकारी के आधार पर परिवाद दायर कर और उस आधार पर अखबारों और पोर्टल में खबर प्रकाशित करा कर भ्रम फैलाया जा रहा है। इसी मामले में उसी आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा पीएम कार्यालय को भी शिकायत की गई थी जिसकी कलेक्टर अंबिकापुर ने एक टीम बनाकर जांच कराई और उसमें कोई त्रुटि नहीं पाई गई थी। 94 करोड का आंकड़ा भी गलत है हमें विभाग द्वारा सिर्फ ₹85
करोड़ का ही भुगतान हुआ है। श्रीकिशन एंड कंपनी के अधिकृत शंकर अग्रवाल ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सारे मामले में संपूर्ण तथ्य प्रस्तुत ना कर जनता और सम्बंधित संस्थाओं को गुमराह किया गया है।और हमारी फर्म को भी बदनाम करने की साजिश की गई है।
दरअसल अम्बिकापुर रिंग रोड की निविदा छ.ग. सड़क विकास निगम द्वारा कार्य में -11% के साथ हमारी फर्म श्रीकिशन एंड कम्पनी को L-1 घोषित कर सिविल कार्य हेतु रू. 70.60 करोड़ का अनुबंध क्र. 42-W/CGRDC/17-18 Dated. 05.07.2017 संपादित हुआ। निर्माण कार्य के दौरान नवीन आवश्यक कार्य हेतु अनुबंध की कण्डिका-13 के तहत कुल रू. 8,33,26,365.00 (833.26 लाख) राशि के चेंज ऑफ स्कोप आदेश सक्षम अधिकारी के अनुमोदन उपरांत जारी किये व हमसे उपरोक्त राशि का कार्य कराया गया है। अतः सिविल कार्य कुल संशोधित अनुबंधात्मक राशि रू. 78,93,32,615.00 निर्धारित हुई। जिसके एवज में आज तक हमारी फर्म को सिविल कार्य हेतु रू. 78,88,98,524.00 (रू. 78.89 करोड़) राशि का भुगतान किया गया है। यही जानकारी राज्य सूचना आयोग को भी प्रमाणित दस्तावेजो के साथ विभाग द्वारा सौंपी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त अनुबंध की कंडिका -19.10 के तहत सिविल कार्य पर देय प्राईज एस्केलेशन राशि रू. 3,87,14,022.00 (रू. 387.00 लाख) तथा अनुबंध की कंडिका - 19.17 के तहत कार्य पर देय GST की राशि रू. 2,37,99,838.00 (रू. 237.99 लाख) का नियमानुसार भुगतान किया गया है। उक्त भुगतान की जांच महालेखाकार कार्यालय द्वारा किये गये कार्य में भुगतान की आडिट में की गई है तथा इसे नियम अनुकूल घोषित किया गया है। इस तरह हमारी फर्म को कुल रू. 85,14,12,384.00 (रू. 85.14 करोड़) का ही भुगतान किया गया है।
सिविल कार्य के अतिरिक्त Utility Shifting (बिजली के खम्बे, PHE की पानी की पाईप लाईन आदि को हटाने) हेतु सी.एस.पी.डी.सी.एल., पी.एच.ई. विभाग व अन्य को राशि रू. 8,95,08,399.00 (रू. 895.08 लाख) का भुगतान छ.ग. सड़क विकास निगम द्वारा किया गया तथा भूमि अधिग्रहण हेतु कलेक्टर अम्बिकापुर द्वारा पारित अवार्ड अनुसार अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व व भू अधिग्रहण अधिकारी अम्बिकापुर को राशि रू. 3,04,26,764.00 (रू. 304.26 लाख) का भुगतान किया गया है। जिसमें हमारा किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप/लेना देना नही है और उपरोक्त दोनो भुगतान छ.ग. शासन के ही विभागों को हुआ है न की ठेकेदार को।
कार्यस्थल में कार्य प्रारंभ से पहले कार्यस्थल की बाधाएं बिजली खम्बे, पाईप लाईन, भूमि अधिग्रहण इन्हे हटाकर क्लीयर साईट देना विभाग का कार्य है।
बिजली खम्बे व PHE पानी की पाईप लाईन हटाने मे लगभग 8 माह लगा जिसके बाद कार्य प्रारंभ हो सका व कार्य दिनांक 20.09.2019 को (28 मी. भूमि विवाद की जगह छोड़कर) पूर्ण कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि अम्बिकापुर रिंग रोड की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक (CTE) द्वारा की जा चुकी है जो कि लोक निर्माण विभाग की सड़क गुणवत्ता जांच हेतु सर्वोच्च संस्था है। उक्त जांच में भी रिंग रोड को तकनीकी रूप से सही पाया गया। इसके साथ ही RTI कार्यकर्ता द्वारा PMO कार्यालय दिल्ली को शिकायत की गई थी जिसकी गुणवत्ता की जांच कलेक्टर अम्बिकापुर द्वारा गठित टीम ने भी की है तथा उक्त जांच रिपोर्ट में भी निर्माण संबंधी कोई भी कमी परिलिक्षत नही हुई है। उक्त तथ्य को भी शिकायतकर्ता द्वारा जानबूझकर छुपाया गया प्रतीत होता है।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि हमें वही भुगतान किया गया है जो अनुबंध के अनुसार है व कार्यस्थल पर कार्य कराया गया है। अतः शिकायत में प्रस्तुत किया गया तथ्य की "94 करोड़ का भुगतान किया गया है" ना सिर्फ असत्य है बल्कि भ्रमित करने हेतु सुनियोजित तरीके से प्रस्तुत किया गया है। RTI कार्यकर्ता द्वारा जो स्टीमेट संबंधी तथ्य प्रस्तुत किये गये है वो भी पूर्णतः असत्य है व भ्रमित करने वाले है। जानबूझकर ऐसे कार्यो को अनुबंध में निर्मित किया जाना बताया गया जो वास्तव में अनुबंध में है ही नही। अनुबंध के हर प्रस्तावित कार्य को हमारे द्वारा किया गया है तथा जिसकी जांच भी विभिन्न एजेन्सियों द्वारा की गई है। हमारे द्वारा किये गये कार्य का ही विभाग ने भुगतान किया है। ऐसे किसी कार्य का भुगतान नही हुआ है जिस कार्य को हमारे द्वारा नही किया गया है।
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