नई दिल्ली। राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित विपक्ष के 12 सदस्यों की बहाली की मांग को लेकर न तो विपक्ष का रुख बदला है न ही गतिरोध समाप्त...
नई दिल्ली। राज्यसभा से पूरे सत्र के लिए निलंबित विपक्ष के 12 सदस्यों की बहाली की मांग को लेकर न तो विपक्ष का रुख बदला है न ही गतिरोध समाप्त हुआ है। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इस मुद्दे पर सोमवार को विपक्ष के बर्ताव और हंगामे पर फिर से नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर आप हमें न सिखाएं। आप ऐसा व्यवहार जारी रखेंगे तो सदन स्थगित कर दूंगा। जिसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस समेत अन्य दलों के साथ वाकआउट की बात कही। इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। सोमवार को सदन दो बार स्थगित हुआ।
खरगे ने निलंबन वापस लेने और इस मामले में सरकार के रवैये पर सवाल उठाया। सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों के सीट पर खड़े रहने पर सभापति ने आपत्ति जताई। शोर-शराबे पर उन्होंने कहा कि इस तरह सदन नहीं चल सकता है। उन्होंने सदस्यों को सीट पर बैठने का कहा लेकिन विपक्षी दल हंगामा करते रहे। खरगे ने कहा कि अगर वे हमें झुकाना चाहते हैं तो हम झुकने वाले नहीं हैं।
सुबह सभापति की ओर से शून्यकाल की घोषणा करते ही विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने निलंबन पर सवाल उठाते हुए कहा कि सत्र के दस दिन बीत चुके हैं। विपक्ष की भावनाओं का आदर होना चाहिए और समाधान निकाला जाना चाहिए। सभापति ने कहा कि ये दोनों पक्षों को अहसास होना चाहिए और गलती करने वालों को सोचना चाहिए।
सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ आरोप लगाए गए हैं और विपक्ष के नेता ने सदन में कुछ गलत बातें बताई हैं। उन्होंने कहा कि हमने बार-बार समाधान की कोशिश की सबके साथ और अलग-अलग भी। गोयल ने कहा कि विपक्ष के नेता कह रहे हैं हम माफी नहीं मांग सकते हैं हमने कोई गलती नहीं की है।
आज तो चेयर की बात भी नहीं सुनी जा रही है। जो अपमान आसन का हुआ है, जो अपमान सदन और देश का हुआ है। उन्हें अब भी इसका पश्चाताप नहीं है। देश और दुनिया गरिमा गिराने के बाद भी इनके व्यवहार में बदलाव नहीं आया है।
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