माता वैष्णो देवी के मंदिर में हुए भगदड़ को लेकर रविवार को बुलाई बैठक में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत अब श्रद्धाल...
माता वैष्णो देवी के मंदिर में हुए भगदड़ को लेकर रविवार को बुलाई बैठक में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत अब श्रद्धालु को माता के दर्शन करने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा, क्योंकि पर्ची सिस्टम को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है.ऑफलाइन पर्ची सिस्टम को बंद कर दिया गया है. यात्रियों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए रेडियो तरंगों पर आधारित आरएफआईडी ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने समेत भीड़ प्रबंधन के अन्य उपाय किए जाएंगे.
श्री माता वैष्णो देवी भवन के पास भगदड़ से हुए हादसे के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में रविवार श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की बैठक में यह अहम फैसले लिए गए.राजभवन में हुई विशेष बैठक में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर विस्तृत चर्चा की गई. मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार को तत्काल सभी फैसलों पर अमल के निर्देश दिए गए.
आरएफआईडी ट्रैकिंग सिस्टम को फौरन प्रभावी बनाने की अपील
बोर्ड ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार को प्रभावी भीड़ प्रबंधन, सौ फीसदी ऑनलाइन बुकिंग से यात्रा, यात्रा मार्ग खासकर भवन क्षेत्र में भीड़ न होने देने और भवन पर प्रवेश व श्रद्धालुओं के बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्तों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. बोर्ड के अध्यक्ष उपराज्यपाल ने कहा कि आरएफआईडी ट्रैकिंग सिस्टम को फौरन प्रभावी बनाया जाए. उन्होंने तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह लेने को भी कहा.
श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फैसले
सिन्हा ने रविवार को यहां श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की. अधिकारियों ने बताया कि बैठक यहां राज भवन में हुई और इसमें श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. बैठक के बाद सिलसिलेवार ट्वीट में उप राज्यपाल ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई फैसले लिए गए.
उन्होंने कहा, ‘अहम जांच के बाद आवश्यकता पड़ने पर व्यवस्थागत सुधारों, बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू करने, 100 प्रतिशत ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए निर्देश जारी किए गए.’वर्ष 2021 में 55.77 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने के लिए यहां आये जबकि कोरोना वायरस महामारी के कारण उसके पिछले वर्ष 17 लाख श्रद्धालु ही आये थे.
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