जगदलपुर / रायपुर। बस्तर संभाग में गोंडी, दोरली, भतरी व हल्बी बोली - अलग अलग भूभाग में प्रचलित है। लेकिन इन सभी बोली भाषाओं को बोलने वाली ज...
जगदलपुर/रायपुर। बस्तर संभाग में गोंडी, दोरली, भतरी व हल्बी बोली - अलग अलग भूभाग में प्रचलित है। लेकिन इन सभी बोली भाषाओं को बोलने वाली जनजातियों को एक सूत्र में बांधने यदि किसी भाषा को मान्यता मिली है तो वह है हल्बी। किसी बोली को भाषा की मान्यता तभी मिलती है, जब उसकी स्पष्ट लिपि हो, व्याकरण. हो।
इन तथ्यों से हल्बी परिपूर्ण है। इसलिए इसे भाषा का दर्जा देने 4- पहल हो गई हैं। लिपि व व्याकरण के बाद अब इसका शब्दकोश भी रचा जा चुका है। साहित्यकार रूद्र नारायण पाणिग्रही ने हल्बी के 7 हजार से अधिक शब्दों का संकलन कर हिंदी हल्बी शब्दकोश रच डाला है। 273 पृष्ठो में छपे इस शब्द कोष में हल्बी के शब्द, हिंदी में उसका अर्थ, स्वर व स व्यंजन दिए गए है। इस शब्दकोश का विमोचन गण तंत्र दिवस पर एक विशेष समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे।
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