पूरी तरह छत्तीसगढ़ में बनी एक इलेक्ट्रिक बाइक इस साल बाजार में आने को तैयार है। इस बाइक का हर हिस्सा यहीं बना है। इलेक्ट्रिक बाइक पेट्रोल-डी...
पूरी तरह छत्तीसगढ़ में बनी एक इलेक्ट्रिक बाइक इस साल बाजार में आने को तैयार है। इस बाइक का हर हिस्सा यहीं बना है।
इलेक्ट्रिक बाइक पेट्रोल-डीजल के खर्चे को एकदम से कम कर देगी। एक बार चार्ज हो जाने पर 120 किमी तक चलेगी। साइंस कॉलेज मैदान में चल रही विभागीय प्रदर्शनी में जिन स्टार्टअप को मौका दिया गया है, यह बाइक भी उनमें से एक है।
अपनी ई-बाइक के प्रोटोटाइप और मॉडीफाइड ई-बाइक लेकर प्रदर्शनी में शामिल स्टार्टअप एर्की मोटर्स के अर्पित चौहान और मूलचंद दुबे ने बताया, इलेक्ट्रिक बाइक पर वे पिछले आठ सालों से काम कर रहे हैं। गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और CG-Inc की मदद से यह काम संभव हुआ है। अभी वे लोग पुरानी पेट्रोल बाइक को मोडिफाइड कर रहे हैं। इसमें इलेक्ट्रिक किट लगाई जा रही है।
यह खास बात बाइक में
इस बाइक में अधिकतम 80 किमी की रफ्तार मिलती है। यह बाइक गियरलेस है। इस बाइक की माइलेज 120 किलोमीटर है। यानी एक बार चार्ज होने पर इसे 120 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है। करीब तीन घंटे में यह दोबारा पूरी तरह चार्ज हो जाएगा। बैट्री पर तीन साल की वारंटी है और बैट्री की लाइफ 5 से 6 साल तय है।
अर्पित चौहान ने बताया, उनकी पूरी तरह मेक इन छत्तीसगढ़ ई-बाइक अप्रैल 2022 तक बाजार में उतरने के लिए तैयार है। यह हाइब्रिड बाइक होगी। इसकी प्रस्तावित कीमत करीब 95 हजार रुपए होगी। अगर ग्राहक खुद पुरानी बाइक देकर उसे ई-बाइक बनाने के लिए देता है तो 50 हजार का खर्च आता है।
जगदलपुर के अखिलेश फार्म से दुकान की दूरी मिटा रहे हैं
जगदलपुर के कारोबारी मद्दी परिवार से आए अखिलेश मद्दी इंजीनियरिंग ड्रॉप आउट हैं। कुछ सालों तक एक्सपोर्ट से जुड़े रहे हैं। अब अपने एक स्टार्टअप के जरिए खेतों से दुकानों की दूरी कम कर रहे है। अखिलेश बताते हैं, पोन्टेक्स नाम से उनका ब्रांड एक एग्रीटेक स्टार्टअप है। इसमें उन्होंने किसानों और दुकानदारों को जोड़ा है।
उनके नेटवर्क में शामिल दुकानदार जिस कृषि उत्पाद की मांग करते हैं, वे नेटवर्क के ही किसान से उनके खेत में जाकर खरीदते हैं। उनको वहीं दाम देते हैं और अपने ऑपरेशन हाउस में उसकी ग्रेडिंग पैकेजिंग के बाद दुकानों को आपूर्ति कर देते हैं।
इसमें किसानों को खेत में ही सही दाम मिल जाता है, वहीं दुकानदारों को भी मंडी नहीं जाना पड़ता। फिलहाल इस नेटवर्क में रायपुर के 50 किमी के दायरे के 80 से 100 सब्जी उत्पादक किसान और 50-55 दुकानदार शामिल हैं।
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