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राज्योत्सव प्रदर्शनी में जनजातीय बाजार हाटुम बना लोगों के आकर्षण का केंद्र

  राजधानी के साइंस कालेज मैदान पर चल रहे राज्योत्सव मेला में श्रम विभाग ने ऑनस्पाट सुविधा केंद्र ई श्रमिक पंजीयन लगाया है। श्रम विभाग के इस ...

 



राजधानी के साइंस कालेज मैदान पर चल रहे राज्योत्सव मेला में श्रम विभाग ने ऑनस्पाट सुविधा केंद्र ई श्रमिक पंजीयन लगाया है। श्रम विभाग के इस स्टॉल में अब तक साढ़े पांच सौ से अधिक लोगों का ऑनस्पाट श्रमेव जयते नामक मोबाइल एप्प के माध्यम से पंजीयन हेतु आवेदन किया जा चुका है। श्रम विभाग द्वारा श्रमिको की सुविधा के लिए श्रमेव जयते नाम से मोबाइल एप्प बनाया गया है जिसके माध्यम से बहुत ही आसानी से श्रमिको का पंजीयन किया जा सकता है। एक बार पंजीयन हो जाने के बाद श्रमिक विभाग द्वारा प्रदान की जाने वाली सरकारी योजनाओं के लिए इस एप्प के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।



साथ ही अन्य योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री श्रमिक सियान सहायता योजना, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कार्ड योजना, मिनीमाता महतारी जतन योजना, नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना, मेधावी छात्र/छात्रा शिक्षा प्रोत्साहन योजना, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण सहायता योजना, विशेष शिक्षा सहायता योजना, मोबाईल रजिस्ट्रेशन वेन योजना, मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार सहायता योजना, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना, मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर कौशल विकास एवं परिवार सशक्तिकरण योजना, शहीद वीरनारायण सिंह श्रम अन्न योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, बंधक निर्माण मजदूर पुनर्वास सहायता योजना, श्रम मित्र योजना, सिलिकोसिस से पीड़ित निर्माण श्रमिकों के लिये आर्थिक सहायता एवं पुनर्वास सहायता योजना, निर्माण श्रमिक ई-रिक्शा सहायता योजना,दुर्घटना में चिकित्सा सहायता योजना, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक मृत्यु एवं दिव्यांग सहायता योजना की तरह के 60 प्रकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।


इस एप्प के माध्यम से श्रमिक अपना मजदूर कार्ड डाऊनलोड कर सकते हैं। श्रमिक अपने साथ काम करने वाले सहकर्मी के साथ हुई किसी भी दुर्घटना की सूचना विभाग को श्रमेव जयते एप्प के माध्यम से दे सकते हैं। राज्योत्सव में लगे श्रम विभाग के स्टाल के माध्यम से आने वाले आगंतुकों को विभाग की योजनाओं लाभ एवं जानकारी प्रदान की गई।


हाटुम एक गोड़ी शब्द है जिसका अर्थ है बाजार


छतीसगढ़ी आभूषणों के इस स्टाल की संचालिका सुश्री भेनू ठाकुर और उनके सहयोगी प्रीतेश साहू जी ने बताया कि हाटुम एक गोड़ी शब्द है जिसका अर्थ बाजार होता है। हाटुम एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसमे विभिन्न जनजातियों के द्वारा बनाई गई सामग्रियों की बिक्री की जाती है। इसमें गोंड, धुरवा, उरांव व बैगा जनजातियों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सामग्री, आभूषण एवं परिधान सम्मिलित है। इसमें गिलट से बने आभूषण जिसमे सुता, पहुंची, रुपया माला, करधनी, बनुवारिया, ककनी, मुंदरी, पैरी आदि सम्मिलित है। बांस, लकड़ी व घास से बनी वस्तुओ में पिसवा, गप्पा, छोटे पर्स, पनिया (कंघी), पीढ़ा, चटाई सम्मिलित है। धुरवा जनजाति के द्वारा आभूषणों के रूप में प्रयोग की जाने वाली सिहाडी के बीजों से बने माला व पैजन सम्मिलित है। सभी जनजातियों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली झालिंग, फुनद्रा, कौड़ी का श्रृंगार, नेर्क माला, आदि आभूषणों को सम्मिलित किया गया है। साथ ही जनजातीय समूहों के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले परिधानों में साड़ी, गमछा, मास्क, कोट, कुर्ता, बैग एवं आदि भी शामिल हैं। भेनु ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस महोत्सव मंो आदिवासी युवाओं को अपनी पहचान स्थापित करने का जो मौका दिया है उसने के लिए वो मुख्यमंत्री को दिल से धन्यवाद देते हैं।

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