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ये सुंदर रंग किसी एमएनसी कंपनी के डिस्टेंपर के नहीं हैं ये बनाये हैं लिटिया की बहनों ने

  लिटिया के धान खरीदी केंद्र में कुछ समय पहले बनाये गये चबूतरों को सुंदर रंगों के डिस्टेंपर से सजाया जा रहा है। इन चटख और खिले रंगों को देखक...

 

लिटिया के धान खरीदी केंद्र में कुछ समय पहले बनाये गये चबूतरों को सुंदर रंगों के डिस्टेंपर से सजाया जा रहा है। इन चटख और खिले रंगों को देखकर कोई भी सहज रूप से यह कहेगा कि इसके लिए डिस्टेंपर की खरीदी किसी हार्डवेयर स्टोर से किसी एमएनसी के चटख रंगों के कैटलाग से देखकर की गई होगी। यह जानकर आश्चर्य होगा कि इतने सुंदर रंग से भरे यह पेंट ग्राम लिटिया में ही स्वसहायता समूहों की दीदियों ने तैयार किये हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पश्चात सरकारी भवनों में इसका कार्य शुरू कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने साजा विधानसभा के ग्राम बोरी में भेंट मुलाकात के दौरान इसका निरीक्षण भी किया था और स्वसहायता समूहों की महिलाओं से इस संबंध में चर्चा भी की थी। मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा था कि आजीविका के लिए जितने नवाचार करेंगे और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त सामग्री तैयार करेंगे, उतना ही आपके लिए आय की संभावनाएं बढ़ती जाएंगी। ग्राम लिटिया की ग्रामीण बहनें गांव में ही डिस्टेंपर निर्माण कर रही हैं। डिस्टेंपर यूनिट की निर्माण क्षमता हर दिन हजार लीटर तक की है। उन्होंने इसका विक्रय भी आरंभ कर दिया है। साथ ही सरकारी इमारतों में डिस्टेंपर के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने अधिकारियों को विभागीय इमारतों में प्राकृतिक पेंट से पेंटिंग कराने के निर्देश दिये हैं जिस पर कार्रवाई विभागीय अधिकारियों द्वारा की गई है।

कीमत 225 रुपए प्रति  लीटर, इस नंबर में कर सकते हैं संपर्क- इस प्राकृतिक पेंट की कीमत 225 रुपए प्रति लीटर रखी गई है। इसके क्रय के लिए +91-99936-24545 पर तथा +91-6260346241 पर संपर्क कर सकते हैं। इसका विक्रय मथुरा महिला क्लस्टर समिति बोरी सोसायटी तथा गायत्री स्वसहायता समूह लिटिया द्वारा किया जा रहा है।

गुणवत्तायुक्त पेंट प्राकृतिक विकल्प -  गोबर से लीपे-पुते घर कितने सुंदर दिखते हैं और बिना किसी कीटनाशक के उपयोग से देर तक घर को प्रदूषण से मुक्त रखते हैं। यह जटिल और श्रमसाध्य कार्य है पर गांवों के अधिकांश घरों में रोज होता है। अब जब पक्के घर बन गये तो डिस्टेंपर भी आये और पोताई कम हो गई। डिस्टेंपर का बजट ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में बढ़ गया। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल की सरकार ने इसका विकल्प दिया और प्राकृतिक पेंट के निर्माण की पहल की।








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