गेवरा। एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के लिए अर्जित जोकाहीडबरी अमगांव के प्रभावितों के मकानों व परिसंपतियों का मुआवजा भुगतान नही किए जाने से आंदोलन क...
गेवरा। एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के लिए अर्जित जोकाहीडबरी अमगांव के प्रभावितों के मकानों व परिसंपतियों का मुआवजा भुगतान नही किए जाने से आंदोलन का पिछले तीन महीने से चलाया जा रहा है। पाली एसडीएम द्वारा निजी भूमि को शासकीय भूमि दर्शा कर एसईसीएल को अपने पालिसी के अनुसार मुआवजा भुगतान करने सबंधी आदेश जारी होने पर पुनः कलेक्टर से शिकायत करते हुए मुआवजा भुगतान करने की मांग की गई है। ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा ग्राम पंचायत अमगांव के जोकाहीडबरी के प्रभावितों के परिसंपतियों का मुआवजा का भुगतान करने समेत पांच बिंदुओ में मांग की जा रही है।
इस पर हरदीबाजार तहसील से आदेश में शासकीय भूमि पर मकान निर्मित होने का उल्लेख कर दिया गया है जबकि वहां पर शासकीय भूमि नही है। इसकी वजह से एसईसीएल ने मुआवजा भुगतान करने से मना कर दिया है। समिति ने कलेक्टर को पत्र लिख कहा कि गेवरा क्षेत्र अंतर्गत कोयला उत्खनन कार्य के लिए ग्राम पंचायत अमगांव का फेस तीन का अर्जन उपरांत वर्ष 2015-16 में भूमि पर निर्मित मकान, पेड़ पौधों सहित अन्य परिसंपतियों का भौतिक मूल्यांकन- नापी कर 142 परिवारों का मुआवजा पत्रक तैयार किया गया था।
इसमें मुआवजा के लिए जिला प्रशासन द्वारा गठित समिति के समस्त सदस्यों एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के संबंधित अधिकारी, लोक निर्माण विभाग वनपरिक्षेत्र, सहायक संचालक उद्यान विभाग तहसीलदार दीपका उपतहसील ने अनुमोदित किया था। राजस्व आदेश में 31 लोगों के निजी हक की भूमि पर स्थित मकान पेड़ पौधे, अन्य परिसंपति होने पर मुआवजा पत्रक में पात्र कहा गया तथा 111 व्यक्तियों की स्वयं की निजी हक की भूमि नही था, अन्य की भूमि पर निर्मित होने के कारण उन्हें अपात्र बताया गया अभी तक 51 लोगों को पात्र मानते हुए मुआवजा का भुगतान किया जा चुका अथवा कुछ प्रकियाधीन है।
संबंधित परिवारों के मुआवजा भुगतान कराने हेतु हरदीबाजार तहसील में प्रकरण के आधार पर हितग्राहियों द्वारा उनके मकान स्थित होने संबंधी दस्तावेज, बयान, सहमती पत्र इत्यादि जमा कराया जा चुका है किंतु उक्त मकान को शासकीय भूमि में होना बताकर एसईसीएल को अपने पालिसी के आधार पर भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है जो कि गलत है, क्योंकि मूल्यांकन कमेटी द्वारा पूर्व में ही निजी भूमि पर मकान स्थित होना प्रमाणित किया है। समिति ने कहा है कि भूविस्थापित किसान-ग्रामीणों को अपने परिसंपतियों के मुआवजा के लिए भटकना पड़ रहा है,यह नीति व नैतिक आधार पर उचित नहीं है अन्याय है।
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