बिलासपुर 13 मार्च 2024। पर्यावरणीय असंतुलन के बढ़ते खतरों के मद्देनजर हमें खुद सोचना होगा कि हम अपने स्तर पर प्रकृति संरक्षण के लिए क्या यो...
बिलासपुर 13 मार्च 2024। पर्यावरणीय असंतुलन के बढ़ते खतरों के मद्देनजर हमें खुद सोचना होगा कि हम अपने स्तर पर प्रकृति संरक्षण के लिए क्या योगदान दे सकते हैं। बिजली बचाकर ऊर्जा संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दें। तमाम बिलों के आनलाइन भुगतान की व्यवस्था हो ताकि कागज की बचत की जा सके और वृक्षों पर कम-से-कम कुल्हाड़ी चले।
सरकार और अदालतों द्वारा पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनी पालिथीन पर पाबंदी लगाने के लिए समय-समय पर कदम उठाए गए, लेकिन हम पालिथीन के आदी हो गए हैं। हमें कपड़े या जूट का थैला साथ लेकर बाजार जाने के बजाए पालिथीन में सामान लाना ज्यादा सुविधाजनक लगता है। हम पालिथीन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को नजरअंदाज कर देते हैं। जहाँ तक गहराते जल संकट की बात है तो इसके लिए भी हम जिम्मेदार हैं। अक्सर देखा जाता है कि टूथपेस्ट करते समय या शेविंग करते समय हम नल खुला छोड़ देते हैं और पानी लगातार बहता रहता है। हमें अपनी इन गलत आदतों को बदलना होगा। यदि हम वाकई प्रकृति का संरक्षण चाहते हैं तो अपने आस-पास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा।
अपनी छोटी-छोटी पहल से हम सब मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। प्रयास करें कि हमारे दैनिक क्रियाकलपों से कार्बन डाईआक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन कम-से-कम हो। पानी की बचत के तरीके अपनाते हुए जमीनी पानी का उपयोग भी केवल आवश्यकतानुसार ही करें। जहां तक सम्भव हो, वर्षा के जल को सहेजने के प्रबन्ध करें। प्लास्टिक की थैलियों को अलविदा कहते हुए कपड़े या जूट के थैलों का प्रयोग करें। प्रकृति के बार-बार अपनी मूक भाषा में चेतावनियां देकर हमें सचेत करती रही है, इसलिए स्वच्छ और बेहतर पर्यावरण के लिए जरूरी है कि हम प्रकृति की इस मूक भाषा को समझें और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना-अपना योगदान दें.
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