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आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक के फैसलों का किया ऐलान

  नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की तीन दिवसीय एमपीसी बैठक आज खत्म हो गई है। आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान कर दिया ह...

 

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की तीन दिवसीय एमपीसी बैठक आज खत्म हो गई है। आरबीआई गवर्नर ने एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों का एलान कर दिया है। इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। आज सुबह केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमपीसी बैठक के फैसलों का एलान किया। रेपो रेट के अलावा समिती ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए भी कई अहम फैसले लिए है। चलिए, एमपीसी बैठक  की मुख्य बातों के बारे में जानते हैं। 

एमपीसी बैठक की मुख्य बातें

इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया गया है। महंगाई को कंट्रोल करने के लिए समिति में 6 में से 5 सदस्य ने रेपो रेट को स्थिर रखने के लिए मत दिया था। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि देश में कोर महंगाई की दरों में कमी आई है। खाद्य महंगाई दर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। आरबीआई गवर्नर ने वित्त वर्ष 2024-25 में रिटल महंगाई दर 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। पहली तिमाही में रिटेल महंगाई 5 फीसदी से गिरकर 4.9 फीसदी हो सकता है। 

FY25 में देश की GDP ग्रोथ को लेकर शक्तिकांत दास ने अनुमान जताया है कि इस साल देश की जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी तक हो सकती है। 

भारतीय रिजर्व बैंक के एमपीसी बैठक में सभी मेंबर ने इकोनॉमिक रूख को Accommodation of Withdrawal रखा है। देश के विकास में आरबीआई बहुत अहम भूमिका निभाता है। 


देश के विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

    खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता का मुद्रास्फीति परिदृश्य पर असर जारी रहेगा।

    सामान्य मानसून की उम्मीद के कारण रबी गेहूं की अच्छी फसल और खरीफ फसलों की बेहतर संभावनाओं के साथ कृषि, ग्रामीण गतिविधियों का परिदृश्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।

    लंबे समय तक चले भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार मार्गों में बढ़ते व्यवधान से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियां परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा करती हैं।

    2024-25 के लिए जीडीपी अनुमानों के साथ-साथ मजबूत विकास गति देखने को मिल सकती है। आरबीआई को मूल्य स्थिरता पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने के लिए नीतिगत स्थान देती है।


    अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में सॉवरेन ग्रीन बांड की ट्रेडिंग की अनुमति दी गई।

    सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया जाएगा।

    यूपीआई के माध्यम से बैंकों में नकद जमा की अनुमति दी जाएगी। इसका मतलब है कि अब यूपीआई के जरिये भी कैश जमा किया जा सकता है।

    गैर-बैंक भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों को सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) वॉलेट की पेशकश करने की अनुमति है।

    विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा इनफ्लो 2023-24 के दौरान 41.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2014-15 के बाद एफपीआई प्रवाह का दूसरा उच्चतम स्तर है।

    2023-24 के दौरान भारतीय रुपया अपने उभरते बाजार साथियों के साथ-साथ कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी हद तक सीमित रहा।

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