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भारत के लिए छोटा सा देश मालदीव क्यों है इतना जरूरी?

नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी द्वीप देश मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रविवार से चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं. उनके इस दौरे की भारत में खूब...

नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी द्वीप देश मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रविवार से चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं. उनके इस दौरे की भारत में खूब चर्चा है क्योंकि वो भारत विरोधी रुख के साथ सत्ता में आए थे लेकिन अब उनके इस रुख में धीरे-धीरे नरमी आ रही है.

राष्ट्रपति मुइज्जू के इस दौरे में कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं और यह भी तय हुआ है कि भारत और मालदीव मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करेंगे.

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसके बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत-मालदीव के संबंध सदियों पुराने हैं और भारत मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी और अच्छा दोस्त है.

पीएम मोदी ने बताया कि मालदीव की जरूरत के हिसाब से 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय डील पर हस्ताक्षर किए गए हैं. भारत के सहयोग से बनाए गए 700 से अधिक सोशल हाउसिंग यूनिट्स भी मालदीव को हैंडओवर किए गए. 

भारत के लिए इतना अहम क्यों है मालदीव?

मालदीव हिंद महासागर में बसा एक छोटा सा देश हैं जो रणनीतिक रूप से भारत के लिए बेहद अहम है. चीन भारत के पड़ोसी देशों में आर्थिक और रणनीतिक रूप से अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है. मुइज्जू से पहले मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को भारत समर्थक माना जाता था. उनके शासनकाल में भारत चीन को लेकर निश्चिंत था लेकिन चीनी झुकाव वाले मुइज्जू के सत्ता में आने से भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं.  इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित रखने के लिए भारत को मालदीव का साथ होना बेहद जरूरी है.

रिटायर्ड मेजर जनरल डॉ. अनिल कुमार लाल ने एक ओपिनियन ब्लॉग में लिखते हैं कि हिंद महासागर के क्षेत्रीय द्वीपों में श्रीलंका की तरह ही मालदीव बेहद अहम है. श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहले से ही चीन का कब्जा है, इसलिए मालदीव ही एकमात्र ऐसा महत्वपूर्ण देश है जो अब तक भारत के दक्षिण-पश्चिमी समुद्री क्षेत्र की रक्षा कर रहा था.

मालदीव को भारत की जरूरत

पर्यटन पर आश्रित मालदीव हाल के सालों में आर्थिक मंदी, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी से जूझ रहा है और उसने भारत, चीन के करोड़ों डॉलर का कर्ज भी ले रखा है. अनुमान है कि मालदीव का कर्ज उसके जीडीपी का 110% है. इतना भारी कर्ज लेकर बैठे मालदीव को लेकर खतरा बढ़ रहा है कि वो अपने सुकुक पर भुगतान करने में विफल हो सकता है. अगर ऐसा होता है, तो यह दुनिया का पहला इस्लामिक बॉन्ड डिफॉल्ट होगा.

भारत ने पिछले महीने मालदीव को डिफॉल्ट से बचाने के लिए 5 करोड़ डॉलर की लाइफलाइन दी है लेकिन निवेशकों और विश्लेषकों का कहना है कि मालदीव पर भारी कर्ज है और इस मदद से उसे राहत नहीं मिलने वाली.


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