बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की अपील को खारिज करते हुए बिजली झटके से मृत महिल...
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की अपील को खारिज करते हुए बिजली झटके से मृत महिला के परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जहां यह माना गया कि किसी खतरनाक गतिविधि में शामिल व्यक्ति या संगठन किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है, चाहे उसकी गलती या लापरवाही कुछ भी हो। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई। बिजली कंपनी की अपील पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एमपी इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड बनाम शैल कुमारी और अन्य (2002) के मामले का हवाला देते हुए सख्त दायित्व सिद्धांत को लागू किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जहां यह माना गया कि किसी खतरनाक गतिविधि में शामिल व्यक्ति या संगठन किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी है, चाहे उसकी गलती या लापरवाही कुछ भी हो। घरेलू उपयोग के लिए महिला ने अपने घर में बोरवेल कराने के साथ पंप लगाया था। बोर वेल का उपयोग करते समय बिजली के झटके से उसकी मौत हो गई। महिला के पति और बच्चे ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) की जिम्मेदारी का हवाला देते हुए 11 लाख रूपये बतौर क्षतिपूर्ति मुआवजे की मांग करते हुए सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि यह घटना CSPDCL द्वारा विद्युत सुरक्षा, विशेष रूप से अर्थिंग सिस्टम को बनाए रखने में लापरवाही के कारण हुई है। बिजली कंपनी की ओर से पैरवी करते हुए कंपनी के अधिवक्ता ने याचिकाकर्ता के आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि दुर्घटना गृहस्वामी की अनुचित आंतरिक वायरिंग और मृतक की लापरवाही के कारण हुई है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने बिजली कंपनी को मृत महिला के परिजनों को बतौर क्षतिपूर्ति मुआवजा देने का निर्देश दिया।
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